🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞
⛅दिनांक – 05 दिसम्बर 2022
⛅दिन – सोमवार
⛅विक्रम संवत् – 2079
⛅शक संवत् – 1944
⛅अयन – दक्षिणायन
⛅ऋतु – हेमंत
⛅मास – मार्गशीर्ष
⛅पक्ष – शुक्ल
⛅तिथि – त्रयोदशी 06 दिसम्बर सुबह 06:47 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅नक्षत्र – अश्विनी सुबह 07:15 तक तत्पश्चात भरणी
⛅योग – परिघ 06 दिसम्बर प्रातः 03:08 तक तत्पश्चात शिव
⛅राहु काल – सुबह 08:27 से 09:48 तक
⛅सूर्योदय – 07:06
⛅सूर्यास्त – 05:54
⛅दिशा शूल – पूर्व दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:21 से 06:14 तक
⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:04 से 12:57 तक
⛅व्रत पर्व विवरण – सोमप्रदोष व्रत
⛅विशेष – त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🌹 पिशाचमोचिनी श्राद्ध तिथि : मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्दशी 🌹
🔹चतुर्दशी 06 दिसम्बर सुबह 06:48 से 07 दिसम्बर सुबह 08:01 तक
🌹 इस दिन पिशाच (प्रेत) योनि में गये हुए जीवों (पूर्वजों) के निमित्त तर्पण आदि करने का विधान है । भूत-प्रेतादिक से ग्रस्त व्यक्ति इसे अवश्य करें ।
🔹विधिः
प्रातः स्नान के बाद दक्षिणमुख होकर बैठें । तिलक, आचमन आदि के बाद पीतल या ताँबे के थाल अथवा तपेली आदि मे पानी लें । उसमें दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, कुमकुम, अक्षत, तिल, कुश मिलाकर रखें । हाथ में शुद्ध जल लेकर संकल्प करें कि ʹअमुक व्यक्ति (नाम) के प्रेतत्व निवारण हेतु हम आज पिशाचमोचन श्राद्ध तिथि को यह पिशाचमोचन श्राद्ध कर रहे हैं ।ʹ
हाथ का जल जमीन पर छोड़ दें । फिर थोड़े काले तिल अपने चारों ओर जमीन पर छिड़क दें कि भगवान विष्णु हमारे श्राद्ध की असुरों से रक्षा करें । अब अनामिका उँगली में कुश की अँगूठी पहनकर (ʹૐ अर्यमायै नमःʹ) मंत्र बोलते हुए पितृतीर्थ से 108 तर्पण करें अर्थात् थाल में से दोनों हाथों की अंजली भर-भर के पानी लें एवं दायें हाथ की तर्जनी उँगली व अँगूठे के बीच से गिरे, इस प्रकार उसी पात्र में डालते रहें । (तपर्ण पीतल या ताँबे के थाल अथवा तपेली में बनाकर रखे जल से करना है ।)
🔹108 तर्पण हो जाने के बाद दायें हाथ में शुद्ध जल लेकर संकल्प करें कि सर्व प्रेतात्माओं की सदगति के निमित्त किया गया, यह तर्पणकार्य भगवान नारायण के श्रीचरणों में समर्पित है । फिर तनिक शांत होकर भगवद्-शांति में बैठें । बाद में तर्पण के जल को पीपल में चढ़ा दें ।
स्रोतः लोक कल्याण सेतु, नवम्बर 2007
🌹स्वास्थ्य का खजाना : मेथीदाना_फायदे जानकर आप हो जायेंगे हैरान…
🔹मेथी सस्ती व सर्वत्र सुलभ होने के साथ साथ हमारे स्वास्थ्य की परम मित्र भी है । मेथीदाना तीखा, उष्ण, वात, कफनाशक, पित्तवर्द्धक, पाचकशक्ति बढाने वाला, ह्रदय के लिए हितकर व बलवर्धक है ।
🔹यह ज्वर, उलटी, खाँसी, अरुचि, बवासीर, कृमि व क्षयरोग को नष्ट करता है । मेथीति हिनस्ति वातकफ ज्वरान् । वायु कफ व ज्वर का नाश करने के कारण मेथिका कहते हैं ।
🔹मेथीदाना पुष्टिकारक, शक्ति और स्फूर्तिदायक टॉनिक है । पुराने जमाने में जब सीमेंट का आविष्कार नहीं हुआ था, तब भवन निर्माण में चूने के साथ पीसी मेथी का उपयोग किया जाता था, जिससे भवन की मजबूती बढ़ जाती थी ।
🔹ऐसे ही रोज सुबह शाम १ से ३ ग्राम मेथी पानी में भिगोकर, चबा के या छाया में सुखाकर, पीस के खाने से घुटने व शरीर के जोड़ों का दर्द नहीं होता, जोड़ मजबूत रहते हैं तथा जीवनभर गठिया, आमवात, लकवा, मधुमेह, रक्तचाप आदि रोगों के होने की संभावना बहुत कम हो जाती है ।
🔹इसके नित्य सेवन से पेट बड़ा नहीं होता, मोटापा नहीं आता । मेथीदाना दुबलापन भी दूर करता है ।
🔹सुबह शाम इसे पानी के साथ निगलने से कैसा भी कब्ज हो, दूर हो जाता है । यह आँतों का परिमार्जन कर पेट को निरोग बनाता है, गैस को नष्ट करता है ।
🔹इसकी मूंग के साथ सब्जी बनाकर भी खा सकते हैं । यह मधुमेह के रोगियों के लिए खूब लाभदायी है ।
🔹सावधानी : मेथीदाने का सेवन पित्तजन्य रोगों में तथा उष्ण प्रकृति वालों को नहीं करना चाहिए ।
🔹- लोक कल्याण सेतु अगस्त से सितम्बर 2002